Sunday, May 12, 2024
श्यामदेउरवा (महराजगंज), जीपीएन न्यूज। रविवार को सांयकाल तलाबों, नदी आदि घाटों पर छठ व्रती महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य अर्पित कीं। इस दौरान जंहा एक तरफ पुलिस प्रशासन चुस्त दिखी वंही दूसरी तरफ लोग डीजे की धुन पर लोग झूमते नजर आएं।
त्यौहार जहाँ मानवीय जीवन में उमंग लाते हैं वहीं पर्यावरण संबंधी तमाम मुद्दों के प्रति भी किसी न किसी रूप में जागरूक करते हैं। सूर्य देवता के प्रकाश से सारा विश्व ऊर्जावान है और इनकी पूजा जनमानस को भी क्रियाशील, ऊर्जावान और जीवंत बनाती है। भारतीय संस्कृति में दीपावली के बाद कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला छठ पर्व मूलत: भगवान सूर्य को समर्पित है। माना जाता है कि अमावस्या के छठवें दिन ही अग्नि-सोम का समान भाव से मिलन हुआ तथा सूर्य की सातों प्रमुख किरणें संजीवनी वर्षाने लगीं। इसी कारण इस दिन प्रात: आकाश में सूर्यरश्मियों से बनने वाली शक्ति प्रतिमा उपासना के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।
रविवार को तकरीबन तीन बजे से ही महिलाओं का घाटों की ओर निकलना शुरू हो गया । नंगे पांव मंगल गीत गाते हुए घटों की तरह समूह में निकली, इस दौरान घर के बड़े बच्चे सभी संग में थे । वंही घर के सदस्यों ने अपने सिर पर पूजा सामग्री टोकरी में लिए हुए थे । कुछ ही पलों बाद थाना क्षेत्र के लगभग अधिकांश पोखरों व तालाबों के घाटों पर हजारो की भीड़ एकत्रित हो गई और छठ माई के जयघोष से पूरा वातावरण गूंज उठा। भीड़ के साथ माहौल मे आस्था, श्रद्धा व उत्साह बढता गया। महिलाएं पहले वेदी के पास बैठी। पूजन सामग्री सूप मे रखकर पानी में खड़े होकर परिक्रमा की। गन्ने की छतरी लगाई और भगवान सूर्य को अगरबत्ती दिखाई। इसके बाद दीप व हाथ मे पूजन सामग्री से भरा सूप लेकर काफी देर तक पानी में खड़ी रही। फिर भगवान सूर्य को अर्पित कर मंगल कामना की।
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